मुस्लिम लीग और उनके पत्रों से साफ़ साफ़ इसके इतिहास में झाँका जा सकता है मुस्लिम लीग की गिद्ध दृष्टि किस सीमा तक ही इस क्षेत्र पर लगी हुई थी, इसका प्रमाण उस पत्राचार से मिलता है जो मो. अली जिन्ना तथा लीग के एक अन्य जिम्मेदार नेता राधे एहसान के बीच हुआ था। वह सिंहभूम तथा वर्धमान क्षेत्र के पाकिस्तान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण समझता था । राधिव अहसान को जिन्ना को भेजे गए एक पत्र में लिखा है, हमें वर्धमान डिवीजन या कम से कम सिंहभूम, जिस में जमशेदपुर सतीश लोहे की खदाने हो तथा मयूरभंज एवं बालासोर का पूर्णिया जिले का दिनाजपुर समर सीमावर्ती क्षेत्र पूर्वी पाकिस्तान में जरूर शामिल करना। क्योंकि इन क्षेत्रों पर है बंगाल के सभी उद्योग निर्भर करते हैं।
बग्समैन (तत्कालीन में बंगाल एवं असम) तथा आदिवासी स्थान (समग्र झारखंड) को मिलाकर एक परिसंघ बनाना चाहिए उनकी अपनी अपनी विधानसभा में तथा सरकारें होगी, किंतु बंगला नागपुर रेलवे, संचार ,आबकारी, सुरक्षा, विदेश, मुद्रा, डाक तार, कोलकाता का बंदरगाह तथा ऐसे ही अन्य मामलों को संयुक्त रूप से संचालित करना चाहिए। मेरा सुझाव है कि जयपाल सिंह से मिलकर खुली एवं साथ बातचीत करनी चाहिए केवल आदिवासी स्थान ही पूर्वी पाकिस्तान की समस्या को हल कर। इन्हीं से दोनों देशों को परिसंघ व्यवहारी के, सुरक्षित संबंध था आत्मनिर्भर हो सकेगा, तथा वह सर्वाधिक घनी तथा अजय बन जाएगा।
इस प्रकार इस पत्र से हम अंदाजा लगा सकते है की मुस्लिम लीग झारखंड को पूर्वी पाकिस्तान में मिलाने के लिए कितना आतुर था.
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