फिटर कार्यों में किसी धातु को काटने, छिलने सुराख या खुरचने के लिए काटने वाले औजारों का प्रयोग किया जाता है. यह कार्बन स्टील, हाई कार्बन स्टील, हाई स्पीड स्टील अथवा एलॉय स्टील के बनाए जाते हैं। काटने वाली औजार (कर्तन औजार) प्राय: निम्नलिखित प्रयोग किए जाते हैं-
- चीजल
- फाइल
- हेक्सा
- स्क्रेपर
- ड्रील
- टेप
- डाई
- रीमर
- ब्रांच
चीजल
इसके द्वारा फ्लैट, राउंड या एंगल आयरन तथा 1/8 तक मोटी धातु की चादरों को काटा जाता है। यह जॉब की सतह से फालतू धातु छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में चिपिंग द्वारा काटकर निकालने का कार्य करती है। चीजल दो प्रकार की होती है।
- कोल्ड चीजल – इससे ठंडी धातु को काटा जाता है।
- हॉट चीजल – इससे लुहारखाने में गर्म धातुओं को काटने का कार्य किया जाता है।
हॉट चीजल के बीच किए सुराख में हैंडल फंसाकर प्रयोग किया जाता है। इसका कटिंग कोण 30 डिग्री का होता है। कोल्ड चीजल में 0.75% से 1.00% तक कार्बन की मात्रा होती है। इनकी लंबाई 50 मिमी से 200 मिमी तक होती है। चीजल में हेड, बॉडी, फोर्जिंग एंगल, कटिंग एज तथा कटिंग एंगल मुख्य भाग होते हैं। कोल्ड चीजल में विभिन्न धातुओं के अनुसार अलग-अलग कटिंग कोण के निम्नलिखित प्रकार होते हैं-
- माइल्ड स्टील तथा कास्ट आयरन= 60०
- टूल स्टील = 65० से 70०
- तांबा = 40०
- एलुमिनियम = 30०
- पीतल = 40०
चीजल को धार रखने के बाद हार्ड तथा टेंपर किया जाता है। इससे चिजल की धार अधिक दिनों तक खराब नहीं होती है। चीजल प्रयोग के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- काटने वाली धातु पर उचित निशान लगाएं।
- सदा बाएं हाथ से चीजल पकड़े व दाएं हाथ से हैमर की चोट चीजल हेड के सेंटर में मारे।
- एक चोट मारने के बाद पुनः चीजल को सेट करते रहे।
- चिपिंग करते समय जॉब वॉइस में ठीक प्रकार बांधे तथा चीजल को लगभग 40० अपनी ओर झुका कर रखें।
- चिपिंग एक बार में लगभग 3 मिमी तक गहराई में करें, यदि जॉब तोड़ा हो तो पहले क्रॉस कट चीजल से उस पर ग्रूव बना ले।
फाइल
इसके द्वारा धातु से बने जोबों को आवश्यकतानुसार गोल, चौकोर, कोणीय आकार में घिसकर सही माप में बनाया जाता है। इसके अतिरिक्त कुछ काटने वाले औजार की धार भी इसके ठीक की जाती है। इसमें हैंडल, टैग, हिल, फेस, एज तथा टिप प्वाइंट् मुख्य भाग होते हैं। इनको 4 आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
लंबाई के आधार पर
100, 200, 250, 300, 350, 400 तथा 450 मिमी तक लंबाई की होती है।
आकार के आधार पर
यह फ्लैट, राउंड, हाफ, राउंड स्क्वायर, ट्रायंगुलर, हैंड फाइल तथा नाइफ एज होती है।
ग्रेड के आधार पर
यह रफ, बास्टर्ड, सेकंड कट, स्मूथ तथा डेड स्मूथ होती है।
कट के आधार पर
यह सिंगल कट, डबल कट, स्पायरल तथा रास्प कट होती है। इन पर क्रमश: 60० से 35०, 40० से 45० तथा 70० से 80० तक के कोणपर दातें काटे होते हैं। रास्प कट फाइल पर मोटे दांते बने होते हैं। इसका प्रयोग लकड़ी आदि पर किया जाता है।
विशेष फाइलें
विशेष कार्यो के लिए निम्नलिखित प्रकार की फाइलें होती है-
नीडल फाइल, पिलर फाइल, सेटिंग फाइल, फ्लैक्सेबल फाइल, रोटरी फाइल, वार्डिंग फाइल, डाई पिंकर्स फाइल, बैरट फाइल, स्विस पैटर्न फाइल
रोटरी व बैंड फाइलिंग क्रिया तीन प्रकार से की जा सकती है-
स्ट्रेट फाइलिंग, क्रॉस फाइलिंग, ड्रा फाइलिंग।
प्रयोग करते-करते उसके दांतो में धातु के कण फंस जाते हैं। इस दोष को पिनिंग दोष कहते हैं। इसे साफ करने के लिए फाइल कार्ड तथा स्कोरर का प्रयोग किया जाता है।
स्क्रेपर
धातु से बने जोबों के मशीनिंग के बाद रहे शेष हाईस्पोटों को खुरचने के लिए स्क्रेपर का प्रयोग किया जाता है। इनके द्वारा 0.002 से 0.003 तक धातु खुर्ची जा सकती है। यह पांच प्रकार के होते हैं-
फ्लैट् स्क्रेपर, ट्रायंगुलर स्क्रेपर, हुक स्क्रेपर, हाफ राउंड स्क्रेपर, डबल हैंड स्क्रेपर
स्क्रेपर की लंबाई 100 मिमी से 150 मिमी तक तथा मोटाई 1 मिमी से 3.5 मिमी तक होती है। ऑटोमोबाइल में मेन तथा स्माल एंड बियरिंग के हाईसपोर्ट खुरचने के अतिरिक्त गन मेटल के मशीन ब्रुशों को भी खुरचने की आवश्यकता होती है।
हेक्सा फ्रेम तथा ब्लेड
धातु के रोड, पाइप, फ्लैट, तथा एंगल आदि को काटने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इसमें प्रेम तथा ब्लेड 2 भाग होते हैं। हेक्सा फ्रेम दो प्रकार के होते हैं।
- फिक्स्ड फ्रेम, जिसको स्ट्रेट हैंडल या पिस्टल टाइप हैंडल का बनाया जाता है।
- एडजस्टेबल फ्रेम, इसमें विभिन्न स्टैंडर्ड नाप के ब्लेड लगाए जा सकते हैं।
एक सा ब्लेड प्राय: हाई कार्बन स्टील, हाई स्पीड स्टील तथा टंगस्टन धातु के बनाए जाते हैं। इन्हें हार्ड तथा टेंपर किया जाता है। जिन ब्लेडो में सुराख के स्थानो को छोड़कर शेष भाग हार्ड किया जाता है वह ऑल हार्ड ब्लेड कहलाते हैं। ब्लेड के दांतों की संख्या के आधार पर इनका वर्गीकरण चार प्रकार से किया जाता है।
- कोर्स टाइप इसमें 14 से 18 दांते प्रति इंच होते हैं।
- मीडियम टाइप- इसमें 20 से 24 दांते प्रति इंच होते हैं।
- सुपर फाइन टाइप- 30 से 32 दांते प्रति इंच होते हैं ।
ब्लेड जॉब की झिरी में न फंसे इसके लिए दांतो की विशेष सेटिंग उन्हें मोड़कर की जाती है। यह सेटिंग्स स्टेगर्ड, रेगुलर, डबल आल्टरनेट अथवा वेब या जिग जैग के टाइप की होती है। हेक्सा के प्रयोग में निम्नलिखित सावधानियां अपनानी चाहिए-
- यह ध्यान रखें कि फ्रेम में ब्लेड ढीला या अधिक टाइट होने पर टूट जाता है
- काटने वाला टुकड़ा वॉइस में बहुत ऊंचा न बांधे अन्यथा कंपन करेगा।
- पतली शीट काटते समय उसके आगे-पीछे लकड़ी की सपोर्ट लगाएं।
- यदि ब्लेड टूट जाए तो लगभग इतना पुराना ब्लेड प्रयोग करें अन्यथा जीरी में नया ब्लेड टूट सकता है।
- कार्य करने के बाद फ्रेम से ब्लेड निकाल देना चाहिए।
ड्रिल
किसी जॉब में सुराख करने के लिए ड्रिल मशीन के साथ इसका प्रयोग किया जाता है। यह हाई कार्बन स्टील, हाई स्पीड स्टील तथा एलोय स्टील के बने होते हैं। इनकी बनावट तीन प्रकार की होती है।
- फ्लैट ड्रील
- ट्विस्ट ड्रिल
- स्ट्रेट फ्लूटेड ड्रिल
ड्रिल कि शैंक को ड्रिल मशीन में जक की सहायता से अथवा सीधे पकड़ा जाता है। शैंक का आकार चार प्रकार का होता है।
- स्ट्रेट शैंक
- टैपर शैंक
- रैचेट शैंक
- बिट शैंक।
टेपर शैंक ड्रिल पर मोर्स टेपर होता है। ड्रिल नाप के आधार पर चार प्रकार के होते हैं।
- फ्रेक्शनल साइज ड्रिल – यह 1\64 से 3 तक व्यास के होते हैं।
- मिलीमीटर ड्रिल – यह एक मिलीमीटर से 3 मिलीमीटर तक है 0.05 की बढ़त में, 3 मिमी से 14 मिमी तक 0.1 मिमी की बढ़त मैं 1.4 मिमी से 16 मिमी तक 0.25 मिमी की बढत में आते हैं।
- नंबर ड्रिल- यह एक नंबर से 80 नंबर तक आते हैं। कम नंबर के ड्रिल मोटे तथा अधिक नंबर के ड्रिल पतले होते हैं।
- लेटर साइज ड्रिल-यह ड्रिल A से Z अक्षर तक होते हैं। A साइज ड्रिल 0.234 तथा Z साइज की ड्रिल 0.413 का होता है।
विशेष ड्रील
विशेष कार्यों के लिए निम्नलिखित भी प्रयोग किए जाते हैं-
- डबल फ्लूटेड ड्रिल
- मल्टी फ्लूटेड ड्रिल
- सेंटर ड्रिल
- काउंटर शैंक ड्रिल
- काउंटर बोरिंग ड्रिल
- आयल हॉल ड्रिल
- स्पाइरिक ड्रिल
- शैल ड्रिल
- स्टेप ड्रिल।
ड्रिल का कटिंग एंगल 118० का होता है तथा कलियरेन्स कोण 8० से 15० का होता है।
ड्रिल मशीन
ड्रिल दवारा सुराख काटने के लिए ड्रिल मशीन का प्रयोग किया जाता है। पोर्टेबल मशीन पांच प्रकार की होती है।
- हैंड ड्रिल मशीन
- ब्रेस्ट ड्रिल मशीन
- रेचेट ब्रेस मशीन
- इलेक्ट्रिकल हैंड ड्रिल मशीन
- न्यूमैटिक ड्रिल मशीन।
ड्रिल मशीन 6 प्रकार की होती है-
- बेंच टाइप
- पिलर टाइप
- कॉलम टाइप
- रेडियल टाइप
- गैंग टाइप
- मल्टी स्पीण्डल टाइप।
ड्रिल द्वारा सामान्य सूराखों के अंतिरिक्त
- काउंटर बोरिंग
- काउंटर सिकिंग
- टेपिंग
- रिमिंग
- ट्रीपेनिंग
- बोरिंग आदि भी की जाती है।
ड्रिल मशीन का प्रयोग करते समय निम्नलिखित सहायक उपकरणों का प्रयोग किया जाता है-
- ड्रिल चक
- ड्रिल स्लीव
- ड्रिल ड्रीफ्ट,
ड्रिल प्रयोग में सावधानियां: ड्रिल द्वारा किया गया सुराख़ साफ व सही नाप का हो इसके लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- ड्रिल का कटिंग कोण तथा क्लीयरेंस कोण धातु के अनुरूप ग्राइंड हो।
- ड्रिल की कटिंग स्पीड तथा फिड़ का सही चयन करें।
- ड्रिल के लिप्स समान हो।
- बड़े व्यास के सुराख से पहले छोटे व्यास का सुराख कर लेना चाहिए।
- ड्रिल करते समय ठोस जॉब के नीचे लकड़ी का गुटका लगा लेना चाहिए।
- ड्रिल करते समय जॉब को ठीक प्रकार क्लैम्प करना चाहिए,।
टेप
धातु से बने जोबों में अंदरूनी चूड़ी काटने के लिए टेप का प्रयोग किया जाता है। यह निम्न प्रकार के होते हैं-
हैंड टेप, मास्टर टेप, मशीन टेप, गेस टेप, मशीन स्क्रू टेप, एक्सटेन्शन टेप, स्टे बोल्ट टेप, स्पाइरल फ्लूट टेप, फ्लूटलैस टेप।
हैंड टेप एक सेट में तीन होते हैं।
- टेपर टेप
- इंटरमीडिएट टेप
- फिनिशिंग टेप।
इनको क्रम से प्रयोग किया जाता है। चूड़ी की नाप व आकार के आधार पर विभिन्न प्रकार के टेप प्रयोग किए जाते हैं। टेप का प्रयोग विशेष-प्रकार के टेप हैंडल के द्वारा किया जाता है। कभी-कभी चूड़ी काटते समय ड्रिल होल में टेप टूट जाता है। इसे निकालने के लिए टेप एक ट्रैक्टर विधि, नोज प्लन्जर विधि, तेजाब विधि का प्रयोग किया जाता है। टेपिंग करते समय चार प्रकार के दोष आते हैं, इनका ध्यान रखना चाहिए।
- टेप टूट जाना
- टेप की चूड़ियां टूट जाती है
- खराब चूड़ी कटती है
- नाप से बड़ी चूड़ी कटती है।
डाई
धातु से बने जाबो पर बाहरी चूड़ी काटने के लिए डाई का प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा रोड आदि पर चूड़ी काटी जाती है। यह छह प्रकार की होती है
राउंड स्पिलट डाई
एडजेस्टेबल डाई
प्लेट डाई
नट डाई
पाइप डाई
एक्रॉन डाई।
डाई का प्रयोग किस प्रकार के हैंडल के साथ किया जाता है। डाई हैंडल दो प्रकार के होते हैं।
- सॉलिड डाई हैंडल
- एडजेस्टेबल डाई हैंडल
रीमर
रीमर द्वारा चार कार्य लिए जाते हैं
- ड्रिल द्वारा किए सुराख की सफाई
- सुराख को बड़ा करना
- सुराख को टेपर करना
- टेडे सूराखों को सीधा करना
रीमर कार्य के अनुसार निम्नलिखित प्रकार के होते हैं –
- हैंड रीमर
- मशीन रीमर
- सेल रीमर
- एडजेस्टेबल रीमर
- एक्सपेंशन रीमर
- टेपर रीमर
- पाईलट रीमर ।
रीमर गोल रोड पर चिरैया स्पाइरल फ्रूट काटकर बनाए जाते हैं। इनकी शैंक दो प्रकार की होती है।
- पैरेलल शैक
- टेपर शैक
ब्रोंच
यह एक ऐसा उजार है जिसमें कटिंग एज एक ही क्रम में टेपर मैं बने होते हैं। एक फूल में तीन कटिंग जॉन होते हैं-
- रकिंग जॉन
- सेमी फिनिश जॉन
- फिनिश जॉन
यह हाई स्पीड स्टील के बनाए जाते हैं। इनके द्वारा आंतरिक या ब्राहा कटिंग होती है।
इनकी आकृतियां कार्य के अनुसार विभिन्न प्रकार की होती है। इनका प्रयोग तीन प्रकार की मशीनों द्वारा किया जाता है।
- हारिजोटल ब्रांचिंग मशीन।
- वर्टिकल ब्रांचिंग मशीन
- चैन टाइप कंटिन्यूज ब्रांचिंग मशीन
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