आज इस आर्टिकल में हम आपको मौर्यकालीन कला और संस्कृति और प्रशासन के बारे में बताने जा रहे है.
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मौर्य काल में कला और साहित्य के क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई.
मौर्य काल में कौटिल्य एक बहुआयामी प्रतिभा वाला विद्वान था. जिसकी रचना अर्थशास्त्र एक कालजयी कृति है.
सुप्रसिद्ध व्याकरणचार्य आचार्य पाणिनि की रचना अष्टाध्यायी इस काल की अन्य महत्वपूर्ण कृति है.
मीमासा और वेदांत पर टिप्पणीया लिखने वाला उपावर्श और चिकित्सा शास्त्र चरक इस काल के अन्य महान विभूति थे.
इस काल में स्थापत्य कला उन्नत अवस्था में थी. मेगास्थनीज ने पाटलिपुत्र नगर की सुंदरता का वर्णन किया है.
पटना के कुम्हरार में मोर्य कालीन राज्य प्रसाद के जो अवशेष मिले हैं उनमें एकाश्म गोलाकार स्तंभ अपने लिए प्रसिद्ध है.
मौर्य कालीन वास्तुकला शैली इरानी कला से प्रभावित थी. इसी शैली के उनके और भव्य स्तंभ अशोक द्वारा अपने अभिलेखों के प्रचार हेतु भी बनाए गए हैं.
पत्थर को चमकाने की कला इस काल में अत्यंत उन्नत अवस्था में थी. इसको सर्वोत्कृष्ट उदाहरण पटना सिटी के दिदारगंज मोहल्ले से प्राप्त यक्षिणी की मूर्ति है.
मौर्य कालीन प्रमुख मूर्तियां- मणिभद्रयक्ष ग्वालियर से, दो स्त्रियां बेसनगर से, यक्ष मथुरा से तथा यक्षिणी दीदारगंज से प्राप्त हुई है.
अशोक मौर्य वंश का प्रथम ऐसा शासक था, जिसने अभिलेखों के माध्यम से अपनी प्रजा को संबोधित किया, जिसकी प्रेरणा उसे ईरानी राजा द्वारा प्रथम डेरियस से मिली थी.
अभिलेखों में अशोक को देवानामापिय और देवानापीयदसी उपाधि से विभूषित किया गया है.
अशोक स्तंभ ओं की खोज सबसे पहले 1750 ईसवी में पाद्रेटी फैथैला ने की थी, जबकि इन के अभिलेखों को पढ़ने में पहली बार सफलता जेम्स प्रिसेप को 1835 ईसवी में प्राप्त हुई.
कौटिल्य ने राज्य के सात अंग निर्दिष्ट किए थे
कौटिल्य के अर्थशास्त्र में केंद्रीय प्रशासन के लिए 18 विभागों का उल्लेख मिलता है जिसे तीर्थ कहा गया है. तीर्थो के अध्यक्ष को महामंत्र कहा गया है. सर्वाधिक महत्वपूर्ण तीर्थ थे- मंत्री, पुरोहित, सेनापति और युवराज.
प्रथम समिति | उद्योग शिल्प ओं का निरीक्षण |
द्वितीय समिति | विदेशियों की देख – रेख हैं |
तृतीय समिति | जन्म एवं मरण का लेखा जोखा |
चतुर्थ समिति | व्यापार व वाणिज्य |
पंचम समिति | निर्मित वस्तुओं के विक्रय का निरीक्षण |
षष्ठम समिति | विक्रय मूल्य का दसवां भाग विक्री कर के रूप में वसूलना. |
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