मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान है। राज्य की 72.4% जनसंख्या गांव में रहती है जिसका प्रत्यक्ष संबंध कृषि है। मध्य प्रदेश की कुल भूमि का 49% जमीन खेती योग्य है। मध्य प्रदेश की 69.8% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। वर्ष 2015-16 की अपेक्षा वर्ष 2016-17 में प्रमुख खदानों के क्षेत्रफल में वृद्धि परिलक्षित रही। वर्ष 2016-17 में चावल मक्का एवं गेहूं के क्षेत्रफल में विगत वर्ष 2015-16 की अपेक्षा क्रम से 11.60%, 15.02%, एवं 8.64% की परिलक्षित हुई है। समग्र रूप से कुल खाद्यानों के क्षेत्रफल में 13.2% की वर्दी परिलक्षित हुई। इस अवधि में खदानों के क्षेत्रफल में वृद्धि होने के साथ ही खदान का उत्पादन गत वर्ष से 30.98% वृद्धि हुई है।
समस्त फसलों का शुद्ध सिंचित क्षेत्र 2015-16 में 9284.5 हजार हेक्टेयर था, जो व्रत 2016-17 में बढ़कर 9876.0 हजार हेक्टेयर रहा है। सकल राज्य मूल्यवर्धन के वृहद क्षेत्रवार निष्पादन में आधार वर्ष 2011-12की तुलना में प्राथमिक क्षेत्र के अंश में वृद्धि हुई है। प्राथमिक क्षेत्र का अंश वर्ष 2011-12 में 23.85% था। जो वर्ष 2016-17 (त्वरित) एवं 2017- 18 (अग्रिम) में बढ़कर 38.45% एवं 36.86 % स्थिर (2011-12) भावों पर रहा है। मध्यप्रदेश में चार ऐसे क्षेत्र है जहां कुल ग्रामीण क्षेत्र के अनुपात में नीरा बोया गया क्षेत्र 50% से अधिक है – चंबल की घाटी तथा निकटवर्ती ग्वालियर और दतिया का कृषि क्षेत्र है।
मालवा का पठार जो पूर्व में रायसेन भोपाल तक फैला है। रीवा पन्ना का पठार जो उत्तर में यमुना की घाटी तक फैला है। देश के कुल सोयाबीन उत्पादन का 50 से 60% उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है। अतः मध्य प्रदेश का सोयाबीन उत्पादन में प्रथम स्थान है। राज्य में 2016- 17 में दलहन उत्पादन 8201.00 हजार मैट्रिक टन, तिलहन उत्पादन 6986.06 हजार टन और कुल खाद्यान्न उत्पादन 4470 हजार मीट्रिक टन रहा है।
क्षेत्र | फसल |
पश्चिमी काली मिट्टी का मालवा प्रदेश (मंदसौर, नीमच, रतलाम, झाबुआ, धार, बड़वानी, देवास, उज्जैन, राजगढ़, शाजापुर, इंदौर, खंडवा, खरगोन) | जवार और कपास |
उत्तर में गेहूं का प्रदेश मुरैना, श्योपुर, भिंड, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, गुना, छतरपुर, बेतूल, टीकमगढ़, छिंदवाड़ा। | जवार-गेहूं |
मध्य गेहूं का प्रदेश भोपाल, सीहोर, होशंगाबाद, नरसिंहपुर, रायसेन, विदिशा, सागर, दमोह | गेहूं |
चावल गेहूं का प्रदेश पन्ना, सतना, जबलपुर, सिवनी, | चावल- गेहूं |
मध्य प्रदेश की सर्वाधिक महत्वपूर्ण फसल धान है. राज्य के कुल कृषि क्षेत्र का 22.60 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की कृषि की जाती है। पूर्वी मध्य प्रदेश धान के उत्पादन का प्रमुख क्षेत्र है। चावल से जुडी समस्यों के लिए बड़वाई में अनुसंधान केंद्र है। मध्यप्रदेश में रबी की फसलों में सबसे अधिक क्षेत्र गेहूं के अंतर्गत है। पश्चिमी मध्य प्रदेश के सभी जिलों में गेहूं पैदा किया जाता है। मालवा का समतल पठार गेहूं के उत्पादन का एक प्रमुख क्षेत्र है। दूसरा क्षेत्र सीहोर, विदिशा और रायसेन जिले में है। पूर्व की और सागर, दमोह, जबलपुर जिलों में यह तीसरा क्षेत्र है। उत्तर की और पन्ना, सतना और रीवा का पठार तथा दक्षिणी मेन अदा की घाटी अन्य स्पष्ट क्षेत्र है।
ज्वार उत्पादन की दृष्टि से आंध्र प्रदेश, और कर्नाटक के पश्चात मध्य प्रदेश का स्थान है। ज्वार नम जलवायु तथा सूखे की फसल है। हल्की दोमट भूमि इसके लिए उपयुक्त रहती है। चना एक विशिष्ट खाद्यान्न है जो दाल की तरह भी उपयोग में आता है। यह रबी की फसल है जो कि अक्टूबर में बोई जाती है एवं मार्च में काटी जाती है। प्रारंभ में नमी तथा बाद में सूखा मौसम चने के लिए उपयुक्त होता है। होशंगाबाद, नरसिंहपुर, हरदा, गुना, विदिशा, उज्जैन, मंदसौर, नीमच, इंदौर, देवास, भिंड, मुरैना, रायसेन, शयोपुर आदि प्रमुख चना उत्पादक क्षेत्र है।
दालों में अरहर एक महत्वपूर्ण फसल है तथा लगभग संपूर्ण राज्य खरीफ तथा ज्वार के साथ बोई जाती है। प्रभात, खरगोन-2, टाइप-21, मुक्ता ग्वालियर-3, जे ए -3, सी 11 अरहर की मध्यप्रदेश में उगाई जाने वाली प्रमुख किस्में है। इसकी उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र दक्षिणी और पूर्वी मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा, ग्वालियर, भिंड, मुरैना सागर, इंदौर, उज्जैन, रीवा, खंडवा तथा नरसिंहपुर जिले में।
कृषि उपज | तापक्रम | वर्षा | मिट्टी |
चावल | 25 से 26 से ग्रे 20 से 25 से ग्रे | 125 से 200 सेंटीमीटर | चिकनी, दलदली,व दोमट, काली तथा जलोढ़ |
गेहूं | 15 से 26 से ग्रे | 600 से 100 सेंटीमीटर | दोमट, हल्की, कछारी |
ज्वार | 15 से 26 से ग्रे | 75 से 100 सेंटीमीटर | दोमट,कछारी |
गन्ना | 15 से 24 से ग्रे | 75 से 100 सेंटीमीटर | हल्की, दोमट, चिकनी, |
तुअर | 20 से 26 से ग्रे | 100 से 200 सैंटीमीटर | चिकनी, दोमट आदि |
चना | 20 से 26 सें ग्रे | 100 से 200 चार्ट्स | काली, गहरी याद रोड मिट। |
कृषि उपज | उत्पादन क्षेत्र |
गेहूं | ग्वालियर, सागर, रतलाम, मंदसौर, विदिशा, उज्जैन, गुना, रीवा, होशंगाबाद, देवास, झाबुआ, इंदौर, सतना, जबलपुर, खंडवा। |
चावल | बालाघाट, मंडला, छिंदवाड़ा, बेतूल, रीवा, सीधी, सतना, शहडोल, डबरा, तथा ग्वालियर आदि। |
जवार | मंदसौर, नीमच, रतलाम, उज्जैन, राजगढ़, शाजापुर, देवास, खंडवा, खरगोन। |
चना | मंदसौर, नीमच, विदिशा, गुना, सीहोर, झाबुआ, देवास, भोपाल, इंदौर, उज्जैन, रतलाम, होशंगाबाद, नरसिंहपुर, जबलपुर, रायसेन, टीकमगढ़, हरदा, भिंड, मुरैना। |
अफीम | मंदसौर |
गन्ना | उज्जैन, सीहोर, जावरा, शाजापुर, डबरा, शिवपुरी जिला मुरैना आधी। |
कपास | इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन, भिंड, मुरैना, शयोपुर, शिवपुरी, छिंदवाड़ा, भोपाल आदि। |
अरहर | छिंदवाड़ा, भिंड, इंदौर, उज्जैन, देवास, खंडवा, रीवा, सपना, सागर दमोह, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, धार, ग्वालियर, मुरैना, भोपाल आदि। |
मूंगफली | मंदसौर, नीमच, खरगोन, धार। |
तिलहन | तील- छतरपुर, होशंगाबाद, शिवपुरी, सीधी, अलसी, बालाघाट, सतना, रीवा, होशंगाबाद, झाबुआ, सागर, गन्ना, पन्ना। |
गांजा | खंडवा जिले के टिगरिया, बड़गांव, गुज्जर, जामली, लाइनपुर, रुस्तमपुर। |
फसलें | उत्पादन क्षेत्र |
ज्वार | गुना, शिवपुरी, और पश्चिमी मुरैना। |
गेहूं व ज्वार | बुंदेलखंड का पठार, मध्य मालवा, पश्चिमी मुरैना, ग्वालियर, भिंड, पूर्वी, शिवपुरी, पूर्वी गुना, विदिशा, भोपाल, रायसेन, सागर, नरसिंहपुर, दमोह, टीकमगढ़, पन्ना, सतना, रीवा |
कपास व गेहूं | उज्जैन, मंदसौर, नीमच, शाजापुर, राजगढ़, देवास, सीहोर |
कपास | पश्चिमी निमाड़, रतलाम, धार, बडवानी व झबूआ। |
चावल का कपास | खंडवा |
चावल कपास का ज्वार | बेतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी। |
चावल | संपूर्ण पूर्वी मध्य प्रदेश, शहडोल, बालाघाट, मंडला, जबलपुर, सीधी, शिवनी का कुछ भाग। |
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