मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में भेलसा के समीप उदयगिरि की 20 गुफाएं हैं. इन्हें उदयगिरी की पहाड़ियों के पूर्वी ढाल को खोदकर तराशा गया है. ये गुफाएं ईशा के बाद चौथी और पांचवी शताब्दी की है. जो गुप्त वंश की अद्भुत निर्माण कला का मनोहारी उदाहरण प्रस्तुत करती है. उज्जैन से 12 किलोमीटर दूर कालियादह महल की ओर भृतहरि गुफाएं हैं. इनका निर्माण राजा भरतरी की यादगार में परंपरा वंश के राजाओं ने 11वीं शताब्दी में करवाया था. गुफाओं में सभी चित्र रंगीन है.
मांडू से 125 किलोमीटर और धार से 97 किलोमीटर इंदौर से 154 किलोमीटर दूर बाग की गुफाएं विद्यांचल की पहाड़ियों में स्थित है. बाघ की गुफा अजंता की गुफाओं के समान कलापूर्ण भित्ति चित्रों से मुक्त है. इन गुफाओं का पांडव गुफा भी कहते हैं. गुफाओं के बाहर यक्ष राज का एक बड़ा चित्र है. ग्वालियर दुर्ग राज सूरजसेन द्वारा बनवाया गया था। यह इतना विशाल भव्य व सुदृढ़ ग्रुप है कि इसे भारत के किले का रत्न कहा जाता है।
ग्वालियर का किला, बांधवगढ़, धारा का किला, अजयगढ़, असीरगढ़ का किला, औरछ दुर्गे, चंदेरी का दुर्ग, गिन्नौर गढ़, मंदसौर का किला, मंडला का दुर्ग, रायसेन का दुर्ग, नरवर का किला।
बेतवा नदी के किनारे अवस्थित चंदेरी के किले का निर्माण प्रतिहार नरेश कीर्ति पाल ने 11वीं शताब्दी में करवाया था। यह दुर्ग सुदृढ़ एवं पहाड़ी दुर्ग है। इस दुर्ग में जौहर कुंड हवा महल और नौखंडा महल आदि दर्शनीय है। जौहर कुंड में बाबर के आक्रमण के समय 800 राजपूत नारियां आग के जौहर में जलकर भस्म हो गई थी। गिन्नौरगढ़ का निर्माण 13वीं शताब्दी में महाराजा उदयवर्मन ने करवाया था। इसके समीप का क्षेत्र तोतो का क्षेत्र है। यह किला जिस पहाड़ी पर बना है उसे अशर्फी पहाड़ी कहते हैं। कहा जाता है कि गिन्नौरगढ़ पर हमला करने के लिए आए आक्रमणकारियों को एक एक रेत की टोकरी का मूल्य 1-1 अशर्फी देना पड़ा था।
बाँधोगढ़ दक्षिण पूर्व रेल मार्ग के कटनी बिलासपुर मार्ग पर उमरिया स्टेशन से 30 किलोमीटर दूर है। यहां अजेय सुदृढ़ और भव्य दुर्गे विद्यांचल पर्वत के घने बीहड़ जंगलों में 900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। 14 वीं शताब्दी में इस किले का निर्माण किया गया था। 16वीं-17वीं शताब्दी में बुंदेलखंडी के राजा विक्रमादित्य ने अपने शासनकाल में अपनी राजधानी बांधवगढ़ से हटाकर रीवा कर ली थी। 1597 में अकबर ने अपने एक सरदार पाल दास को बड़ी सेना देकर दुर्ग विजय को भेजा था। यह दुर्गा 8 माह 5 दिन की मजबूत घेराबंदी के पश्चात ही जीता जा सका था। औरछा दुर्ग बुंदेला वंश के राजाओं के शौर्य, पराक्रम और वीरता पूर्ण गौरव कथाओं का यश गान कर रहा है। अजयगढ़ का निर्माण राजा जयपाल ने करवाया था। इस किले में राजा अमन का महल विशेष दर्शनीय स्थल है।
मंडला दुर्ग के नर्मदा नदी तीन ओर से घिरे हुए हैं और चोथी और गहरी खाई बनी हुई है। यह दुर्ग गोंड राजाओं की राजधानी और शक्ति का प्रमुख केंद्र रहा है। जिसका निर्माण प्रख्यात गोंड नरेश राजा नरेंद्र शाह ने कई वर्षों में करवाया था। मंदसौर किले का निर्माण चौधरी शताब्दी में अलाउद्दीन खिलजी ने करवाया था।
सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ तानसेन मुगल काल के महान सम्राट अकबर के राज दरबार के नवरत्नों में से एक थे। ग्वालियर में तानसेन का मकबरा बना हुआ जो मुगल काल की कला का एक सुंदर नमूना है।
मध्यप्रदेश के शहडोल जिले की पुष्पराजगढ़ तहसील के दक्षिणी पूर्वी भाग में मैकाल की पहाड़ियों में स्थित अमरकंटक भारत के पवित्र स्थलों में से एक है। यहीं से पवित्र नदी नर्मदा का उद्गम होता है। यहां के दर्शनीय स्थलों में कपिल धारा प्रपात, दुग्ध धार प्रपात, नर्मदा कुंड, सोनू मुंडा, माई का बगिया आदि।
चित्रकूट उत्तर प्रदेश में मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित धार्मिक स्थल है। कहा जाता है कि ब्राह्म, विष्णु और महेश ने इसी पवित्र भूमि पर बाल अवतार लिया था। महाकवि तुलसीदास आत्मिक शांति के लिए यहां आए थे-
साँची एकमात्र ऐसा स्थल है जहां बौद्धकालीन शिल्प कला के नमूने विद्यमान है। यहां के स्तूप, चैत्य, मंदिर और बिहार सभी बौद्ध कला के सर्वोत्कृष्ट नमूने हैं।
स्थान | प्रसिद्धि का कारण |
भीमटेका एवं चतुर्भुजनाथ | शैल चित्रों |
अमलाई | पेपर मिल |
नेपानगर | अखबारी कागज मिल |
सिंगरौली | कोयला खदान |
खुजराहो | कलात्मक मंदिरों |
भेड़ाघाट | संगमरमर की चट्टानें |
मझगांव | हीरे की खाने |
पन्ना | हीरे की खाने |
अलाझखंड | तांबा की खान |
पंचमढ़ी | हिल स्टेशन |
गोंडवाना | खनिज |
मंदसौर | अफीम उत्पादन |
बंधगांव | अभयवन सफेद शेरों |
मेले | स्थान |
सिंगाजी मेला | पश्चिमी निमाड़ |
रामलीला | भांडेर (ग्वालियर) |
नागाजी का मेला | पोरसा (मुरैना) |
तेजाजी का मेला | भू- मावड़ (गुना) |
थामोनी उर्स | धामोनी (सागर) |
बरमान का मेला | गाडरवाडा (नरसिंहपुर) |
मांघात का मेला | मांधाता (पूर्वी निमाड़) |
बाबा साहब उद्दीन औलिया का उर्स | नीमच (मंदसौर) |
चेती मेला | ब्यावार |
गरीब नाथ बाबा का मेला | अवंतीपुर (शाजापुर) |
महामृत्युंजय का मेला | रीवा |
जागेश्वरी देवी का मेला | गुना |
हीरा भूमिया का मेला | ग्वालियर |
कालू जी का मेला | पिपलिया खुर्द (पश्चिम निमाड़) |
काना बाबा का मेला | सोदालपुर (होशंगाबाद) |
शिवरात्रि का मेला | अमरकंटक |
माथ मोगरा का मेला | भैरोथान (सिवनी) |
शहीद मेला | सनावद |
रामनवमी मेला | नया गांव |
मध्य रेलवे के हरपालपुर स्टेशन से 94 किलोमीटर दूर छतरपुर जिले में सुप्रसिद्ध खुजराहो के मंदिर हैं, जो हिंदू स्थापत्य एवं शिल्प कला के उत्कृष्ट नमूने हैं। विश्व विख्यात खजुराहो के भव्य मंदिरों का निर्माण चंदेल राजाओं ने 950-1050 ईसवी के मध्य करवाया था। पाली ग्रंथों में बेसनगर के नाम से वर्णित एवं संस्कृत साहित्य में विदिशा के नाम से उल्लेखित इस प्रसिद्ध प्राचीन नगर का स्थल, विदिशा रेलवे स्टेशन से पश्चिम में 2 मील दूर बेतवा (वेत्रवती) तथा बेसनदियों नदियों के बीच स्थित है। यहां पर पाए जाने वाले भग्नावशेष ईसा पूर्व की तीसरी शताब्दी से ऐसा की 11 वीं शताब्दी तक के हैं। बेस्ट नदी के उत्तरी तट पर हेलिओडोरस स्तंभ है।
बड़ोह के प्रमुख प्राचीन अवशेष है- गडरमल मंदिर, सोलह खंबा सभा मंडप, दशावतार मंदिर, सत मड़ी मंदिर और जैन मंदिर।
जैन धर्मावलंबियों का प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र कुंडलपुर, महावीर की जन्मस्थली बिहार में स्थित कुंडलपुर से भिन्न दूसरा कुंडलपुर बड़े बाबा का, प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ का, बुंदेलखंड का तीर्थ राज कुंडलपुर भारत के हृदय प्रदेश मध्य प्रदेश के सागर संभाग का एक कस्बा नुमा जिला दमोह है, इसी स्थित है जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर हटा तहसील पटेरा ब्लॉक में स्थित है। यहां पर लगभग 63 मंदिर है। बौद्ध धर्म का अंतरराष्ट्रीय धर्म धम्म सम्मेलन मध्यप्रदेश के भोपाल में 22-23 सितंबर 2012 को आयोजित किया गया। श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे व भूटान के प्रधानमंत्री जिग्में वाम थिनले ने यही सांची में विश्व के पहले बहुत अच्छा भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की आधारशिला भी रखी है।
मध्यप्रदेश में बुजुर्गों को प्रदेश के बाहर स्थित तीर्थ स्थानों की यात्रा कराने के लिए एक अनूठी तीर्थ दर्शन योजना मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गई है। इस योजना के तहत पहली गाड़ी रामेश्वरम की यात्रा कराने के लिए 3 दिसंबर 2012 को तथा दूसरी रेलगाड़ी अजमेर शरीफ की यात्रा के लिए तेरा सितंबर 2012 को भोपाल से रवाना की गई। इस योजना के अंतर्गत बद्रीनाथ, केदारनाथ, अमरनाथ, गया, अमृतसर, सम्मेद शिखर, श्रवणबेलगोला, अजमेर शरीफ, वैष्णो देवी, जगन्नाथ पुरी, कशी, द्वारकापुरी, तिरुपति तथा शिर्डी आदि के लिए यात्रा 3 सितंबर 2012 से 30 दिसंबर 2012 के दौरान आयोजित की जाएगी।
मध्य प्रदेश केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा जारी योजना निधि का अपने राज्य के विभिन्न पर्यटन स्थलों में पर्यटन डाल के विकास में पूर्ण उपयोग करने वाला देश का पहला राज्य फरवरी 2013 में बना। विदित हो कि मध्य प्रदेश सरकार ने जारी किए गए धन का उपभोग मांडू, विदिशा, शिवपुरी, बुरहानपुर, महेश्वर, दतिया, इंदिरा नगर, मंदसौर, हार्डिया, बेतूल जैसे पर्यटक स्थलों के विकास पर किया। मध्यप्रदेश के दतिया जिले के रतनगढ़ मंदिर में हुई भगदड़ (13 अक्टूबर 2013) की जांच हेतु एक सदस्यीय आयोग का गठन 16 अक्टूबर 2013 को किया गया उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश के सिवनी राकेश सक्सेना को इस आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था।
मध्य प्रदेश में लगभग 450 पर्यटन केंद्र है। वित्तीय साधनों को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश में स्थित पर्यटन केंद्रों में से 14 प्रमुख पर्यटन एवं धार्मिक स्थानों को विकास के लिए चुना गया है। खुजराहो, कान्हा, भोपाल, मांडू, इंदौर, ग्वालियर, शिवपुरी, पंचमढ़ी, बांधवगढ़, अमरकंटक, उज्जैन, ओकारेश्वर, चित्रकूट,। मध्य प्रदेश पर्यटन द्वारा मध्य प्रदेश का आयोजन भोपाल में अक्टूबर 2016 में किया गया।
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