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मध्य प्रदेश में सिंचाई सुविधाएं और परियोजनाएं

  • मध्यप्रदेश में शासकीय साधनों से अतिरिक्त सिंचाई क्षमता निर्मित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। वर्ष 2015-16 शुद्ध सिंचित क्षेत्र 9284.5 हजार हेक्टेयर था। जो बढ़कर 2016-17 मे 9876.0 हजार हेक्टेयर हो गया। इस प्रकार गत वर्ष की तुलना में 6.37% की वृद्धि रही।
  • बेनगंगा नहर बेनगंगा नदी से निकाली गई है। इसकी लंबाई लगभग 45 किलोमीटर है। इसके के द्वारा मध्य प्रदेश के बालाघाट और महाराष्ट्र के भंडारा जिले में लगभग 4000 हेक्टेयर भूमि की होती है।
  • मध्यप्रदेश में श्योपुर जिले में प्रवेश करती है। टरैरा के पास दो शाखाएं हो जाती है। बाएँ ओर की शाखा अंबाह शाखा 179 किमी लंबी है। दाहिने ओर की शाखा का मुरैना शाखा 56 किलोमीटर लंबी है। इससे लगभग 50,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है.
  • तवा बांध परियोजना होशंगाबाद जिले में तवा और धेनवा नदियों के संगम पर 823 मीटर नीचे की ओर बनाई गई है। इसमे दो नहरें निकाली गई है। इसे लगभग 3,00,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है।
  • बारना नर्मदा की एक सहायक नदी है। इस पर बनाए गए दाएं और दो नहरें निकाली गई है।जिससे लगभग 66,400 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई रायसेन जिले में की जाती है।
  • बेतवा घाटी विकास योजना के अंतर्गत विदिशा जिले हलाली सिंचाई परियोजना के अंतर्गत आते हैं 761 किलोमीटर लंबी नहर निकाली गई है। इसी लगभग 73.5 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है।

मध्यप्रदेश की प्रमुख नहरें

नहर नदी
बेनगंगा नहर बेनगंगा
चंबल की नहरें चम्बल
तवा बांध की नहरें तवा और नदियों के संगम से
बारना सिंचाई नहर बारना
हलाली नहर बेतवा

मध्य प्रदेश के प्रमुख बांध

बांध नदी बांध नदी
बाण सागर बांध सोन बारना बांध वरना
राजघाट बांध बेतवा तवा बांध तवा
बारगी बांध नर्मदा गांधी सागर बांध चम्बल
  • मध्य प्रदेश में नहरों\तालाबों से सिंचाई का 17.35 है। बालाघाट सिवनी जिले में भी तालाबों के द्वारा सिंचित प्रदेश अधिक है।
  • भारत की पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी ने सागर परियोजना का शिलान्यास 23 अक्टूबर 1984 को किया था। 13 अप्रैल 1987 को भारत शासन की दृष्टि से भी योजना को स्वीकृति दी। अक्टूबर 1987 को भारत सरकार ने डूब में आने वाली वन भूमि के परिवर्तन की स्वीकृति दी। इसमे 29 वृहित 135 मध्यम ओर 3000 लघु सिंचाई योजनाएं सीमिलित है। इसमें 27.55 लाख हेक्टेयरक्षेत्र की सिंचाई और 2600 मेगावाट विद्युत पैदा होती है।
  • बावनथड़ी परीयोजना मध्य प्रदेश में महाराष्ट्र राज्य की संयुक्त परियोजना है। यह परियोजना पालघाट जिले की कटनी तहसील के गांव गड़वा में बावन थड़ी नदी पर निर्माणाधीन है। अपर बेनगंगा परियोजना मध्य प्रदेश के गोदावरी कछार में वैनगंगा नदी पर निर्माण है। इसे संजय सरोवर योजना भी कहते हैं।

सयुंक्त सिंचाई योजनाएँ

सिंचाई योजनाएँ भागीदार राज्य
चंबल घाटी परियोजना के अंतर्गत या गांधी सागर, राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर, कोटा बैराज सागर , कोटा बैराज एवं इनकी लहर प्रणालियां। मध्य प्रदेश राजस्थान
पेंच परियोजना मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में महाराष्ट्र के नागपुर जिले।
बाघ परियोजना मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र
काली सागर परियोजना मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र
बावनघड़ी परियोजना मध्य क्षेत्र में महाराष्ट्र
बाण सागर परियोजना मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार।
रानी लक्ष्मीबाई परियोजना के अंतर्गत राजघाट बाईंतट नहर, दतीया वाहक नहर, राजघाट दाई तट नहर,सिंहपुर बेराज, बहुउद्देशीय परियोजना,ऊर्मिल परियोजना मध्य प्रदेश में उत्तर
ईव परियोजना (ऑडीसा), मध्य प्रदेश की सपनाई योजना, कुरनाल संयुक्त परियोजना, लोअर जोक सयुक्त परि योजना, कोलाब सयुंक्त परियोजना। मध्य प्रदेश व ओड़ीशा
इन्दिरा गांधी सागर परियोजना मध्य परदेश मे नर्मदा नदी
  • थांवर परियोजना मंडला जिले की झुलपुर गांव के नदी के निकट थांवर नदी पर स्थित है।
  • पेंच योजना महाराष्ट्र में मध्यप्रदेश के अन्तर्राज्यीय परियोजना है। यह छिंदवाड़ा जिले के ग्राम मंचगोरा के निकट पेंच नदी पर स्थित है।
  • बाण सागर परियोजना मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, व बिहार राज्य के सहयोग से निर्मित की जा रही है। राजन द्वारा निर्माण हेतु अनुदान 2:1:1 अनुपात में उपलब्ध कराया जाता है।
  • उर्मिल परियोजना राज्य के छतरपुर जिले के ग्राम भीरोटा में छतरपुर से 30 40 किलोमीटर ऊतकों कानपुर मार्ग पर उर्मिल नदी पर बनाई गई है। यह परियोजना उत्तर प्रदेश की संयुक्त परियोजना है।
  • रानी अवंतीबाई सागर परियोजना जबलपुर जिले के ग्राम बिजनौर के समीप बरगी नदी पर स्थित है।
  • होशंगाबाद जिले में इटारसी तहसील में ग्राम रानीपुर के पास तवा परियोजना का कार्य लगभग पूरा हो चुका । इससे 2.47 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा रही है।

मध्यप्रदेश परियोजनाएं

परियोजना लाभान्वित जिले
चंबल बेडभिंड, मुरैना, मंदसौर।
चल्दु मंदसौर
भानपुरा मंदसौर
भाड़ेर दतिया, ग्वालियर, भिंड।
सिंध ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया, भिंड
तिघरा बांध ग्वालीयर
मेहसारी बांध ग्वालियर
हरसी बांध ग्वालियर
बरियापुर बांगों छतरपुर
रनगाँव छतरपुर
उरमिल छतरपुर
राजघाट गुना, शिवपुरी टीकमगढ़
मोहनी पिकअप शिवपुरी
बांध बालाघाट
अपर बेनगंगा बालाघाट शिवानी
माही धार,झाबुआ, रतलाम
कोलार सीहोर
बरना रायसेन,सीहोर
हलाली रायसेन,विदिशा (सम्राट अशोक सागर)
जामनी भिंड टिकमढ़
बाणसागर रीवा, सीधी, सतना, शहडोल।
तवा होशगाबाद ,
बरगी जबलपुर,  नरसिंहपुर।
सूक्ता खंडवा
अपर तापी खंडवा
थांवर मंडला
वीलगांव डिंडोरी
सोनपुर सागर
केन पन्ना
पतले
पन्ना

सीहोर जिले मे नर्मदा की सहायक कोलार नदी पर ग्राम लावखेड़ी के निकट कोलार परियोजना निर्माणधीन है। इससे सीहोर जिले मे 45087 हेक्टेयर क्षेत्र मेन सिंचाई के अंतिरिक्त भोपाल नगर के लिए 0.15 मिलियन घन फूट जल प्रदाय किया जाएगा।  बारना परियोजना रायसेन जिले में भोपाल स्टेशन से 105 किमी दूर बाड़ी नगर के समीप राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। इस परियोजना से रायसेन जिलेन में 48,805 हेक्टेयर ओर सीहोर जिलेन में 11,695 हेक्टेयर भूमि की वार्षिक सिंचाई का प्रस्ताव है।

सूक्ता प्रयोजना खंडवा जिले से 40 किलोमीटर दूर सुक्ता नदी पर स्थित है। इससे 18883 हेक्टेयर भूमि पर सिचाई व खंडवा नगर की पेयजल आपूर्ति प्रदान करने का प्रावधान है।  सिंधु नदी का शिवपुरी जिले की मोहनी ग्राम के पास पिकअप वियर के निर्माण का कार्य पूरा हो गया। इस योजना के तहत मोहनी पिकअप वीयर हरसी पोशाक नहर का निर्माण, हरसी नहर प्रणाली का पुनरुदवार दोआब नहर तथा केकटा तिगरा फीडर नहर का कार्य शामिल है।

बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित राजघाट बांध परियोजना मध्य उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसका निर्माण कार्य जल संसाधन मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत गठित बेतवा नदी परिषद द्वारा कराया जा रहा है। यह बांध ललितपुर जिले में बेतवा नदी पर बनाया जा रहा है।  इसका नाम अब रानी लक्ष्मीबाई सागर परियोजना रखा गया है। सम्राट अशोक सागर (हलाली) विदिशा और रायसेन जिले की है इन दोनों जिलों के 136 गांव लाभान्वित होंगे. इस योजना से कुल 37,637 हेक्टेयर क्षेत्र है. यह परियोजना रायसेन जिले की सूची विकासखंड में सलापुर रेलवे स्टेशन के 16 किलोमीटर भोपाल जंक्शन से 40 किलोमीटर खोआ गांव के निकट विदिशा एवं रायसेन जिले की सीमा पर निर्मित है।

वर्तमान में मध्यप्रदेश में 0.7 वृहद 23 मध्यम एवं 1424 योजनाओं के निर्माण  एवं सर्वेक्षण कार्य क्रियान्वित किया जा रहे हैं। समस्त फसलों का कुल सिंचित क्षेत्रफल वर्ष 2014-15 मे 10,300 हेक्टेयर था। जबकि शुद्ध सिंचित क्षेत्रफल 9,584 हजार हेक्टेयर था। सिंचाई सुविधाओं के त्वरित उपयोग एवं कृषि उत्पादन को बढ़ाने के उद्देश्य से कमांड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी का गठन किया गया।

2014-5 में शुद्ध सिंचित क्षेत्र 9,584 हजार हेक्टेयर था। जो बढ़कर 2015-16 9,284.5 हजार हेक्टेयर हो गया। 2015-16 में शुद्ध सिंचित क्षेत्र में सर्वाधिक सिंचाई का प्रतिशत 66.76 कुएं एव नलकूप से है। उसके पश्चात मेहरो तालाबों से सिंचाई का प्रतिशत 20.95 तथा अन्य स्रोतों से शुद्ध सिंचित क्षेत्र का 12.29% रहा। मध्यप्रदेश में सिंचाई परियोजनाओं से गरीबी के सीन चाहिए क्षमता वर्ष 2008-09 से 2010-11 के मध्य क्षमता का उपयोग रहा है और 2016-17 में अधतन सिचाई 28.69 लाख हेक्टेयर की गई ।

सिंचाई क्षमता एवं उपयोग

वर्ष वृहद एवं मध्यम, सिचाई क्षमता का उपयोग लघु सिंचाई क्षमता का उपयोग कुल योग सिंचाई क्षमता का उपयोग
2012-13 1440-88 579.78 2020.66
2013-14 1569.00 761.00 2330.00
2014-15 1633.10 758.90 2392.00
2015-16 1968.71 781.68 2750.39
2016-17 1998.63 904.11 2902.74
2017-18 1732.86 643.96 2376.83

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