आज इस आर्टिकल में हम आपको शारीरिक सुयोग्यता व पुष्टि को प्रभावित करने वाले कारक बताने जा रहे है.
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भारत के प्रमुख झील, नदी, जलप्रपात और मिट्टी के बारे में जानकारी
भारतीय जल, वायु और रेल परिवहन के बारे में जानकारी
बौद्ध धर्म और महात्मा बुद्ध से जुडी जानकारी
विश्व में प्रथम से जुड़े सवाल और उनके जवाब
आयु शारीरिक पुष्टि व सुयोग्यता पर सबसे अधिक प्रभाव डालती है. जैसे -जैसे व्यक्ति बड़ा होता है वैसे-वैसे उसकी शारीरिक क्रियाएँ कम हो जाती है जिसके कारण उसको कई प्रकार की बीमारियाँ घेर लेती है. शरीरिक क्रियाएँ कम होने से व्यक्ति की शारीरिक योग्यता प्रभावित होती है. जो व्यक्ति अपनी शारीरिक क्रियाओं को जारी रखते है वे स्वस्थ रहते है और उन पर बुढापे के चिह्न कम नजर आते है. बच्चे की शारीरिक योग्यता पर कभी भी बड़ी आयु की शारीरिक योग्यताओं के व्यायाम नही थोपने चाहिएँ. प्रशिक्षण कार्यक्रम आयु-वर्गो के अनुसार ही तैयार करना चाहिए .
खिलाडियों का खेल के लिए चुनाव उनकी शारीरिक बनावट से किया जा सकता है. दौड़ो के लिए पतले शरीर का होना जरूरी है और फील्ड इवेंट्स में शरीर शक्तिशाली होना चाहिए. आजकल शारीरिक बनावट शारीरिक पुष्टि एवं सुयोग्यता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
लिंग भेद भी शारीरिक पुष्टि एवं सुयोग्यता को प्रभावित करता है. किशोरवस्था में लडके-लडकियों में शारीरिक विभिन्नताएँ आ जाती है; जैसे लडकियों को माहवारी का आना और आवाज का मधुर होना आदि तथा लडकों में दाड़ी-मूंछें आना, आवाज का भारी होना आदि. ये विभिन्नताएँ लडके और लडकियों की शारीरिक पुष्टि एवं सुयोग्यता को प्रभावित करती है. इन विभिन्नताओं के आधार पर ही दोनों वर्गो के लिए शारीरिक योग्यता के कार्यक्रम तैयार करने चाहिएँ.
अच्छे आसन वाला व्यक्ति जीवन में हर प्रकार से प्रशंसा का पात्र होता है. अच्छा आसन शारीरिक योग्यता को बढाता है और व्यक्ति के व्यक्तित्व को सुधारता है.
शारीरिक पुष्टि एवं सुयोग्यता पर वातावरण का काफी प्रभाव पड़ता है. गर्मियों में शारीरिक योग्यता का कार्यक्रम से अलग होना चाहिए. गर्मियों के मौसम में व्यायाम प्रातः काल अथवा सायंकाल करने चाहिएँ. गर्मियों में व्यायाम करते समय कपड़े खुले और द्स्ताने ड़ाल लेने चाहिएँ. पैरों में जुराबों का प्रयोग करना चाहिए.
प्रातःकाल और सायंकाल का समय व्यायाम और प्रशिक्षण के लिए अति लाभदायक है. प्रातःकाल के व्यायाम शरीर को चुस्त और लचकदार बनाते है. सायंकाल के व्यायाम व्यक्ति को पूरे दिन के मानसिक तनाव और शारीरिक थकावट से छुटकारा दिलाते है. व्यायाम और प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाते समय अभ्यास सुविधाओ और गर्मी व सर्दी जैसे मौसम का ध्यान जरुर रखना चाहिए.
उचित अनुकूल से शारीरिक पुष्टि व सुयोग्यता में वृध्दि होती है. अनुकूल का शारीरिक योग्यता के साथ सीधा सम्पर्क है. यदि अनुकूलन बढ़ता है.तो खेलकूद में भी कार्य कठिन कार्य क्षमता बढ़ती है इसलिए खेलों में अनुकूलन एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है
संतुलित एवं पौष्टिक आहार से हमारी शारीरिक संरचना अच्छी रहती है. इससे ना केवल खेलकूद के क्षेत्र में बल्कि आम दैनिक जीवन में भी हमारी कार्यकुशलता एवं कार्य क्षमता में वृद्धि होती है .संतुलित व पौष्टिक आहार से हमारा तात्पर्य पोषक तत्वों जैसे वसा प्रोटीन कार्बोहाइड्रेटस खनिज लवणों विटामिनो एवं जल आदि से है जो आहार में उचित मात्रा में उपस्थित होते हैं तथा शरीर का संतुलित विकास करते हैं. मोटापे के कारण व्यक्ति की कार्यक्षमता में कमी आ जाती है. आजकल मोटापा एक महामारी की भांति फैल रहा है, जिसको संतुलित आहार लेने से तथा उचित व्यायाम करने से नियंत्रित किया जा सकता है.
खेलकूद शारीरिक पुष्टि के अंगो: जैसे शक्ति, गति, सहनशीलता, लचक और तालमेल संबंधी योग्यताओं को विकसित करके स्वास्थ्यता की वृद्धि में अपना बहुमूल्य योगदान देते हैं, जब शारीरिक योग्यता से अंगों का विकास होता है तो व्यक्ति के रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ जाती है
धूम्रपान फेफड़ो के लिए हानिकारक है. इससे ह्रदय की बीमारियां भी हो जाती है, उच्च रक्तचाप भी रहने रहने लगता है. व्यक्ति की कार्यक्षमता धीरे-धीरे क्षीण हो जाती है. धूम्रपान करने से मुंह गले व आहारनली में कैंसर हो जाता है रक्त धमनियों को तंग कर देता है. जिसके कारण रक्त के प्रवाह में मुश्किल आने लगती है. इसी कारण मांसपेशियों की आवश्यकता के अनुरुप ऑक्सीजन नहीं मिल पाती. धूम्रपान करने वाले व्यक्ति कठिन कार्य को लंबी अवधि तक नहीं कर सकते इसलिए शारीरिक पुष्टि सुयोग्यता को बनाए रखने के लिए धूम्रपान नहीं करना चाहिए.
शारीरिक पुष्टि एवं सुयोग्यता को बढ़ाने के लिए व्यक्ति में जिंदादिली व मनोरंजन के साथ जीना चाहिए. खेलकूद के द्वारा मनोरंजन व आमोद-प्रमोद भी होता तथा व्यक्ति ने जिंदादिली रहती है.
अधिक तनाव व दबाव व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, इस कारण उसे अनेक मानसिक बीमारियां भी हो सकती है. तनाव एवं दबाव के कारण व्यक्ति की कार्य करने की क्षमता भी कम होती है. खेलकूद से तनाव व दबाव को कम किया जा सकता है
शारीरिक पुष्टि एवं सुयोग्यता को अन्य कारण जैसे नशा, नशीली दवाइयां या पदार्थ रहन-सहन का स्तर वंशानुक्रम तथा आराम आदि भी प्रभावित करते हैं.
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