उत्तर प्रदेश में बोई जाने वाली फसल, up mein boi jaane waali fasal,jayad ki fasal ke naam, jayad fasal in hindi, jayad ki fasal kab boi jati hai, jayad ki fasal kab kati jati hai, jayad ki fasal trick, kharif ki fasal kab boi jati hai, rabi ki fasal kab boi jati h, kharif ki fasal name,
प्रदेश में मुख्यतः तीन प्रकार की फसलों की कृषि की जाती है- रवि, खरीफ व जायद
शीत ऋतु में अक्टूबर से दिसंबर के मध्य रबी फसलों को बोया जाता है तथा फरवरी से अप्रैल के मध्य काट लिया जाता है। रबी फसलों के अंतर्गत गेहूं, जौ, चना, मटर, सरसों, आलू तथा लाही की फसलें आती है।
दक्षिण पश्चिम मानसून के आगमन के समय 28 मई से जुलाई के मध्य खरीफ की फसलों को बोया जाता है. दक्षिणी पश्चिमी मानसून के लौटने के पश्चात सितंबर से अक्टूबर के मध्य काट लिया जाता है। कपास, चावल, गन्ना, जवार, मक्का, बाजरा, सनई फसलें खरीफ फसलों के अंतर्गत आती है।
फसलों की खेती रबी एवं खरीफ फसलों के मध्यवर्ती काल में ही की जाती है। इन्हें मार्च में बुवाई कर जून में काट लिया जाता है। जायद फसलों के अंतर्गत प्रदेश में तरबूज, खरबूजा, ककड़ी व काशीफल इत्यादि की खेती की जाती है।
उत्तर प्रदेश में तंबाकू की फसल वाराणसी, मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, मैनपुरी, शहर, और फर्रुखाबाद जिला में उगाई जाती है। प्रदेश में तंबाकू की कृषि तम्बाकू खाने तथा हुक्का पीने के लिए की जाती है। विभिन्न क्षेत्रों में इसका उत्पादन तथा किस्म मिट्टी, जलवायु तथा खाद्य की उपलब्धता पर निर्भर करती है।
जुट उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र तथा सरयू और घाघरा नदियों के दोआब में पैदा की जाती है। जूट उत्पादक जिलों में बहराइच, महाराजगंज, देवरिया, गोंडा, सीतापुर और लखीमपुर खीरी, मुख्य है। प्रदेश में जूट की फसल अप्रैल-मई माह में बोई जाती है तथा अगस्त-सितंबर में काट ली जाती है। अधिकांश भागों में देसी किस्म की जूट बोई जाती है।
उत्तर प्रदेश में गंगा यमुना दोआब, रुहेलखंड और बुंदेलखंड मंडलों में सिंचाई के सहारे कपास पैदा की जाती है। प्रदेश में इसकी कृषि मुख्यतः मेथी, मूंग, बरसीम, तोरिया, आदि के साथ की जाती है। इसे जून-जुलाई में बोकर पौधों से अक्टूबर-नवंबर तक कपास की चुनाई कर ली जाती है।
उत्तर प्रदेश देश का सर्वप्रथम सरसों उत्पादक प्रदेश है। उत्तर प्रदेश में गोंडा, बहराइच, मिर्जापुर, सोनभद्र, कानपुर, सीतापुर, सहारनपुर, एटा, मेरठ, फैजाबाद, इटावा, सुल्तानपुर, मथुरा, अलीगढ़, और बुलंदशहर जिलों में सरसों उगाई जाती है। प्रदेश में सरसों की कृषि रवि की फसल है तथा गेहूं, जो के साथ ही यह बोई जाती है।
प्रदेश में अलसी उत्पाद मिर्जापुर, सोनभद्र, इलाहाबाद, गोंडा, बहराइच और हमीरपुर जिलों में होता है। इन जिलों में अलसी का उत्पादन मुख्यत: इससे तेल की प्राप्ति के लिए किया जाता है, जिसका उपयोग रंग रोगन बनाने में किया जाता है।
उत्तर प्रदेश में थोड़ी मात्रा में सीमापूर, हरदोई, एटा, बदायूं और मुरादाबाद जिले में मूंगफली उगाई जाती है। प्रदेश में मूंगफली की कृषि प्राय खरीफ की फसल है। यह फसल जून-जुलाई में बोकर नवंबर-दिसंबर तक जमीन में से खोद ली जाती है। शुष्क भूमि की फसल होने के कारण इस की फसल प्राप्ति में अधिक समय लग जाता है।
गन्ना उत्पादन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का भारत में प्रथम स्थान है। यहाँ देश का लगभग 45% गन्ना उत्पादित होता है। उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादन के दो प्रमुख क्षेत्र हैं- पहला क्षेत्र- तराई क्षेत्र और दूसरा गंगा जमुना का दोआब क्षेत्र है।
तराई के क्षेत्र के अंतर्गत रामपुर, बरेली, पीलीभीत, सीतापुर, लखमीपुर, खीरी, गोंडा, फैजाबाद, आजमगढ़, मऊ, जौनपुर, बस्ती, बलिया, महाराजगंज, देवरिया और गोरखपुर आदि जिले हैं।
दोआब क्षेत्र में मेरठ, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बुलंदशहर, अलीगढ़ मुरादाबाद जिले मुख्य है। मेरठ का गन्ना उत्तम कोटि का होता है। इसमें रस अधिक होता है। जालौन, बांदा और हमीरपुर जिलों में भी थोड़ी मात्रा में गन्ना उत्पादित होता है।
उत्तर प्रदेश में चाय की खेती उत्तराखंड के गठन के पश्चात नगण्य हो गई है। इस स्थिति से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में चाय की खेती करने की योजना के तहत सिद्धार्थनगर में 1,800 हेक्टेयर, देवरिया व लखमीपुर खीरी में 5-5 हजार हेक्टेयर, पीलीभीत में 10,200 तथा महाराजगंज में 500 हेक्टेयर क्षेत्र में वर्ष 2001 से चाय की खेती की जा रही है।
उत्तर प्रदेश में अरहर के मुख्य उत्पादक जिलों में वाराणसी, झांसी, ललितपुर, इलाहाबाद, लखनऊ आदि मुख्य हैं। प्रदेश मैं अरहर की खेती मुख्य रूप से जवार, बाजरा आदि फसलों के साथ की जाती है।
उत्तर प्रदेश में चना थोड़ी मात्रा में उत्पादित होता है। यह बांदा, हमीरपुर, झांसी, ललितपुर, जालौन, मिर्जापुर, सोनभद्र, कानपुर, फतेहपुर, सीतापुर, बाराबंकी, इलाहाबाद और आगरा जिलों में चना उत्पादन किया जाता है। प्रदेश की उपरोक्त जिलों के उन्ही भागों से चने की कृषि होती है जहां पर हल्की दोमट तथा शुष्क मिट्टी पाई जाती है।
भारत में जौ उत्पादन में उत्तर प्रदेश का अग्रणी स्थान है। प्रदेश में मुख्यत: शुष्क एवं का मिट्टी वाले क्षेत्रों में जौ कि कृषि की जाती है तथा यह गरीब जनता का प्रमुख खद्यान है। इस हेतू अधिक श्रम की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए प्रदेश के काफी भू-भाग में इसकी खेती होती है। यहां वाराणसी, आजमगढ़, जौनपुर, बलिया, मऊ, गाजीपुर, गोरखपुर, इलाहाबाद, प्रतापगढ़ आदि जिलों में जो पैदा किया जाता है।
उत्तर प्रदेश में मक्का की खेती वर्षा के सहारे होती है। इसे मई-जून में बोकर अगस्त-सितंबर में काट लिया जाता है। उत्तर प्रदेश में मक्का उत्पादन मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, फर्रुखाबाद, बहराइच, गोंडा, जौनपुर, एटा, फिरोजाबाद और मैनपुर जिलों में होता है. प्रदेश में उत्पादित किए जाने वाली मक्का का उपयोग विशेषता गरीब जनसंख्या द्वारा खाने में किया जाता है, हालांकि अब इसका शर्बत, स्टार्च तथा ग्लूकोज बनाने में भी किया जाता है।
उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से शुष्क जलवायु वाले उन क्षेत्रों में बाजरा की कृषि होती है जहां सामान्यतः 50 सेंटीमीटर से कम वर्षा होती है। इसकी पैदावार हल्की वर्षा अथवा थोड़ी बहुत ही सिचाई करके ही प्राप्त कर ली जाती है। यह सामान्यत: मई से जुलाई तक बोया जाता हैतथा सितंबर से दिसंबर तक काट लिया जाता है. उत्तर प्रदेश में बाजरा उत्पन्न करने वाले जिलों में आगरा, मथुरा, बंदायू, अलीगढ़, मुरादाबाद, एटा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, शाहजहांपुर, प्रतापगढ़, गाजीपुर, फर्रुखाबाद और कानपुर आदि मुख्य है।
देश का महत्वपूर्ण चावल उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है, जहाँ सम्पूर्ण देश का लगभग 12% उत्पादित होता है। हिमालय की तराई में उपजाऊ भूमि, वर्षा की प्रचुरता एवं अनुकूल जलवायु दशाएं होने के कारण है, चावल बोया जाता है। कुछ पहाड़ी भागों में सीढ़ीदार खेती बनाकर भी चावल पैदा किया जाता है।
राज्य में चावल उत्पादक जिलों में पीलीभीत, सहारनपुर, महाराजगंज, देवरिया, गोंडा, बहराइच, बस्ती, राय बरेली, मऊ, लखनऊ, वाराणसी, और गोरखपुर आदि प्रमुख है। राज्य में मुख्यतः खरीफ फसलों के रूप में चावल का उत्पादन मुख्य रूप से हरित क्रांति के उपरांत तीव्र गति से होता है।
गेहूं उत्तर प्रदेश के मुख्य रूप से अक्टूबर-नवंबर में बोया जाता है तथा मार्च-अप्रैल माह में काट लिया जाता है। प्रदेश के उत्तरी पर्वतीय एवं दक्षिण के पहाड़ी में पठारी क्षेत्र को छोड़कर सर्वत्र गेहूं की कृषि की जाती है। गेहूं उत्पादन में गंगा यमुना एवं गंगा घाघरा दोआब क्षेत्र अग्रणी है।
यहां मेरठ, बुलंदशहर, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, इटावा, कानपुर, फर्रुखाबाद, फतेहपुर आदि जिलों के क्षेत्र गेहूं का उत्पादन करता है। यहां गंगा, यमुना, शारदा नदियों से निकलने वाली नदियों से सिंचाई का प्रबंध होता है।
वर्षा की अधिकता के कारण राज्य के पूर्वी एवं उत्तर पूर्वी जिलों में गेहूं का उत्पादन कम होता है। हरदोई, खीरी, बहराइच, गोंडा, बस्ती आदि जिलों में भी गेहूं पैदा किया जाता है। गेहूं उत्पादन में उत्तर प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है। प्रदेश का सर्वाधिक गेहूं उत्पादक जिला है।
राज्य का कुल भौगोलिक क्षेत्र | 240.93 लाख हेक्टेयर |
कृषि योग्य क्षेत्र | 193.07 लाख हेक्टेयर |
कृषि योग्य बेकार भूमि | 4. 40 लाख |
भजन भूमि | 5.07 लाख हेक्टेयर |
चारागाह क्षेत्र | 0. 64 लाख हेक्टेयर |
शुद्ध बोया क्षेत्र | 165. बांसवाड़ा के |
जोत का औसत आकार | 0.83 हेक्टेयर |
सीमांत जोतों का प्रतिशत है | 76.87% है |
सीमांत कृषकों का प्रतिशत है | 70% |
राज्य में शस्य गहनता | 151.8% |
राज्य में कृषि जलवायु प्रदेशों की संख्या | 9 |
उत्तर प्रदेश समशीतोष्ण एवं जलवायु में पैदा होने वाले फलों के उत्पादन में सारे भारतवर्ष में अग्रणी है. इसके अलावा प्रदेश में विभिन्न प्रकार की सब्जियां, मसालों एवं जड़ी बूटियों की खेती की जाती है. सन 1973 कृषि को प्रोत्साहित करने हेतु राज्य में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण नामक विभाग का गठन किया गया है. प्रदेश के मैदानी भागों में आम, अमरूद, पपीता, अंगूर, केला, अनानास, और निंबू आदि फलों का उत्पादन होता है. इसमें आम अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है.
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